आज भारत में भूकंप के कई झटके महसूस किए गए हैं। इनमें जिस भूकंप के झटके सबसे ज्यादा महसूस किए गए वो आधे घंटे में दूसरी बार आया था। इस भूकंप के झटके दिल्ली एनसीआर के अलावा उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश समेत अन्य राज्य में भी महसूस किए गए। ये भूकंप के झटके कुछ सेकेंड तक महसूस किए गए। इस दौरान लोग घरों एवं दफ्तरों से बाहर भी निकल आए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.2 मापी गई है। भूकंप दोपहर 2 बजकर 53 मिनट पर आया। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.2 मापी गई। भूकंप का केंद्र नेपाल में था। नेपाल में भूकंप इतनी तेज था कि वहां घर की दीवारें गिरने की भी तस्वीरें सामने आई हैं।

नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप का पहला झटका मंगलवार सुबह 11 बजकर 6 मिनट मिनट पर लगा था।जिसका केंद्र हरियाणा का सोनीपत था। इसकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 2.7 मापी गई। इसके बाद दोपहर एक बजकर 18 मिनट पर दूसरा भूकंप का झटका आया, जिसकी तीव्रता 3.0 मापी गई। भूकंप का केंद्र असम का कार्बी आंगलोंग था। तीसरा भूकंप 2 बजकर 25 मिनट पर आया, जिसकी तीव्रता 4.6 मापी गई। चौथा भूकंप का झटका 2 बजकर 51 मिनट पर आया। चौथा झटका बहुत जोरदार था। इसकी तीव्रता 6.2 रही। दोनों ही भूकंप का केंद्र नेपाल रहा।

क्यों आता है भूकंप?

पृथ्वी के अंदर 7 प्‍लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती है। इसे अंग्रेजी में प्‍लेट टैक्‍टॉनिकक और हिंदी में प्‍लेट विवर्तनिकी कहते हैं। जहां पर ये प्‍लेट्स टकाराती हैं, वहां जोन फॉल्‍ट लाइन कहलाता है। जब बार-बार प्‍लेट्स टकाराती हैं तो कोने मुड़ने लगते हैं। जब ज्‍यादा दबाव बनता है तो प्‍लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में धरती से ऊर्जा बाहर आने की कोशिश करती है, जिससे रफ्तार बिगड़ती है। इससे भूकंप की स्थिति पैदा होती है।

भूकंप के समय क्या करें?

भूकंप के दौरान जितना संभव हो उतना सुरक्षित रहें। इस बात के प्रति सतर्क रहें कि कौन-से भूकंप वास्तव में इसकी पूर्व-चेतावनी देने वाले भूकंप के झटके होते हैं और बाद में बड़ा भूकंप भी आ सकता है। धीरे-धीरे कुछ कदमों तक सीमित हलचल करें जिससे पास में किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकें और भूकंप के झटकों के रुकने पर घर में तब तक रहें जब तक कि आपको यह सुनिश्चत हो जाएं कि बाहर निकलना सुरक्षित है।

यदि आप घर के अंदर हों

  • आप यदि घर के अंदर हों तो जमीन पर झुक जाए, किसी मजबूत मेज अथवा फर्नीचर के किसी हिस्से के नीचे शरण लें अथवा तब तक मजबूती से पकड़कर बैठे रहें जब तक कि भूकंप के झटके न रुक जाएं।
  • यदि आपके पास कोई मेज या डेस्क न हो तो अपने चेहरे तथा सिर को अपने बाजुओं से ढक लें और बिल्डिंग के किसी कोने में झुक कर बैठ जाएं।
  • किसी आंतरिक दरवाजे के लिन्टॅल (लेंटर), किसी कमरे के कोने में, किसी मेज अथवा यहां तक कि किसी पलंग के नीचे रुककर अपने आपको बचाएं।
  • शीषे, खिड़कियों, दरवाजों तथा दीवारों से दूर रहें अथवा ऐसी कोई चीज जो गिर सकती हो (जैसे लाइटिंग फिक्सचर्स या फर्नीचर), से दूर रहें।
  • भूकंप के दौरान, यदि आप उस समय पलंग पर हों तो पलंग पर ही रहें। अपने सिर पर किसी तकिए को ढककर बचाएं जब तक कि आप किसी भारी लाइट फिक्सचर जो गिर सकती हो, के नीचे न आएं। यदि ऐसी स्थिति हो तो पास के किसी सुरक्षित स्थान की ओर खिसक जाएं।
  • शरण लेने के लिए तभी ऐसे किसी दरवाजे से निकलकर बाहर जाएं जब वह आपके निकट हो और आप जानते हों कि ये किसी मजबूत सहारे (सपोर्ट) वाला है या यह वजन को झेल सकने वाला दरवाजा है।
  • जब तक भूकंप के झटके न रुके तथा बाहर जाना सुरक्षित न हो तब तक अंदर रुके रहें। अनुसंधान से यह पता चला है कि ज्यादातर चोटें तब लगती है जब भवन के अंदर मौजूद लोग किसी दूसरी जगह अथवा बाहर जाने का प्रयास करते हैं।

यदि आप घर के बाहर हों

  • यदि आप घर के बाहर हों तो जहां हों वहां से आप न हिलें।
  • बिल्डिंग, पेड़ों, स्ट्रीट लाइटों तथा बिजली/टेलिफोन आदि की तारों आदि से दूर रहें।
  • यदि आप किसी खुली जगह पर हों तो वहां तब तक रुके रहें जब तक कि भूकंप के झटके न रुक जाएं।
  • सबसे बड़ा खतरा बिल्डिंग के बाहर, निकास द्वारों तथा इसकी बाहरी दीवारों के पास होता है। भूकंप से संबंधित अधिकांष दुर्घटनाएं दीवारों के गिरने, टूटकर गिरने वाले कांच तथा गिरने वाली वस्तुओं के कारण होती हैं। इसलिए दिवारों से दूर रहें।
  • अगर आप भूकंप के दौरान किसी वाहन में हैं तो जितनी जल्दी संभव हो सुरक्षा के साथ गाड़ी रोकें और गाड़ी में ही रुके रहें।
  • कार को बिल्डिंग, पेड़ों, ओवरपास, बिजली/टेलीफोन आदि की तारों के आसपास या नीचे रोकने से बचें।
  • सावधानी से भूकंप के रुकने के बाद आगे बढ़ें और सड़कों, पुलों, रैम्प से बचें।

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