इस समय नवरात्रि का समय चल रहा है। हिंदू धर्म में नवरात्रि के 9 दिन बहुत खास माने जाते हैं। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विशेष पूजा की जाती है। आज नवरात्रि का पांचवां दिन है। इस दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजमान है।
माता की चार भुजाएं हैं। माता ने अपने दो हाथ में कमल का फूल पकड़ा हुआ है। मां का वाहन सिंह है। आज इस खास दिन जानिए मां अम्बे के स्कंदमाता स्वरूप की कैसे करें पूजा, आरती और ये है मंत्र…
पूजा विधि
आज नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है। इन दिन सुबह स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें और स्कंदमाता का ध्यान करें। पूजा में कुमकुम, अक्षत, पुष्प, फल आदि से पूजा करें। माता के सामने घी का दीपक जलाएं। मां की आरती उतारें। कथा पढ़ें और देवी के मंत्रों का जाप करें। आज के दिन भगवती मां को केले का भोग लगाना चाहिए और यह प्रसाद ब्राह्मण को दे देना चाहिए।
स्कंदमाता की पूजा से लाभ
स्कंदमाता की पूजा से संतान की प्राप्ति हो सकती है। अगर संतान की तरफ से कोई कष्ट है तो उसका भी अंत हो सकता है। स्कंदमाता की पूजा में पीले फूल अर्पित करें और पीली चीजों का भोग लगाएं। अगर पीले वस्त्र धारण किए जाएं तो पूजा के परिणाम अति शुभ होते हैं। देवी से अपनी मनोकामाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
दिव्य है मां का स्वरूप
मां स्कन्दमाता का स्वरूप दिव्य हैं। देवी की चार भुजाएं हैं, जिसमें देवी अपनी ऊपर वाली दांयी भुजा में बाल कार्तिकेय को गोद में उठाए उठाए हुए हैं और नीचे वाली दांयी भुजा में कमल पुष्प लिए हुए हैं। ऊपर वाली बाईं भुजा से इन्होंने जगत तारण वरद मुद्रा बना रखी है व नीचे वाली बाईं भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्णन पूर्णतः शुभ्र है और ये कमल के आसान पर विराजमान रहती हैं इसलिए इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है। सिंह भी इनका वाहन है।
इस मंत्र से करें आराधना
- सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
2. या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।