Diwali 2023: दीपों का त्योहार ‘दीपावली’ आने वाला है। भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म की दृष्टि से दिवाली प्रसन्नता और उल्लास का त्योहार है। दिवाली के दिन घरों को दीयों से सजाया जाता है। दीपावली का त्योहार अंधकार से प्रकाश, अज्ञान से ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विधान होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दीपावली पर मां लक्ष्मी प्रगट हुईं थीं और कार्तिक अमावस्या तिथि पर मां लक्ष्मी पृथ्वीलोक पर भ्रमण करने आती हैं। दिवाली की रात को विशेष रूप से मां लक्ष्मी की पूजा होती है। साथ में भागवान गणेश की पूजा की जाती है। दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा में सभी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। कुछ खास चीजें ऐसी भी होती हैं जिसे पूजन में जरूर शामिल किया जाना चाहिए। इससे मां लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होती हैं।
आइये जानते हैं इस बार मां लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है और मंत्र, आरती के बारे में भी बताएंगे…
दिवाली पूजन शुभ मुहूर्त
इस साल दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 40 मिनट से लेकर 7 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में पूजा करके आप मां से सुख समृद्धि की कामना कर सकते हैं।
मां लक्ष्मी मंत्र
1- ऊँ श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
2- ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः:।।
3- श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा।
4- ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:। ।
5- ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:
मां लक्ष्मी आरती
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥