Dev Uthani Ekadashi: हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी को शुभ कार्य के शुरुआत के रूप में देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि 4 माह की योग निद्रा के बाद जब देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु जागते हैं तो सृष्टि का संचालन अपने हाथों में लेते हैं और इसी के साथ शुभ कार्य की शुरुआत हो जाती है। हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी तिथि ही विवाह आदि शुभ कार्य शुरू होते हैं। देश में देवउठनी एकादशी को ‘प्रबोधिनी एकादशी’ अथवा ‘देवोत्थान एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है।
देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को
इस साल देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी है। पंचांग के मुताबिक, इस साल एकादशी तिथि 22 नवंबर को देर रात 11.03 बजे ही शुरू हो जाएगी और 23 नवंबर को 9.01 बजे देवउठनी एकादशी तिथि का समापन होगा। देश में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में देवउठनी एकादशी पर्व उत्साह के साथ मनाया जाता है।
देवउठनी एकादशी की पौराणिक कथा
देवउठनी शब्द का अर्थ है “भगवान को जगाना”। जब भगवान विष्णु चार माह की लंबी नींद योग निद्रा से जागते हैं तो देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इसको लेकर पौराणिक कथा है कि एक बार ‘सांख्यायन’ नाम के राक्षस ने वेदों को चुरा लिया था, जिसके बाद सभी देवताओं ने वेदों को वापस पाने के लिए भगवान विष्णु से अनुरोध किया। भगवान विष्णु ने वेदों को वापस पाने के लिए कई दिनों तक ‘सांख्यायन’ राक्षस से युद्ध किया।
‘सांख्यायन’ को मार गिराने के बाद भगवान विष्णु 4 माह के लिए योग निद्रा में चले गए थे। यह समय देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी के समय के बीच 4 माह का होता है। चूंकि भगवान विष्णु इस दौरान योग निद्रा में रहते हैं, इसलिए इस समय को अशुभ माना जाता है। देवउठनी एकादशी पर जब भगवान विष्णु जागते हैं तो शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है।
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