अगर आपको ऐतिहासिक स्मारक और किले देखने का शौक है, तो इस बार झांसी का किला देख आइये. इस किले में भारत का समृद्ध इतिहास छिपा हुआ है. रानी लक्ष्मी बाई की कहानी बयां करता हुआ यह किला झांसी की रानी की अदम्य विरता का परिचायक है. अब यह किला खंडहर हो चुका है और अपने गौरवमयी अतीत के इतिहास को बतलाता है. बड़ी तादाद में सैलानी इस किले को देखने के लिए आते हैं और यहां के बारे में जानकारी हासिल करते हैं. किसी जमाने में वीर झांसी की रानी लक्ष्मी बाई इसी किले में रहा करती थीं. यह किला उत्तर प्रदेश के झांसी में स्थित है. झांसी बेतवा नदी के तट पर बसा हुआ है. आइये इस किले के बारे में जानते हैं.

17वीं शताब्दी में हुआ था इस किले का निर्माण
झांसी का किला बगीरा पहाड़ी की चोटी पर बसा है. इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में राजा बीर सिंह देव ने करवाया था. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस किले का एक हिस्सा नष्ट हो गया था. किले के भीतर भगवान गणेश को समर्पित मंदिर और एक म्यूजियम है. जिसे टूरिस्ट देख सकते हैं. यहां सैलानी शहीदों को समर्पित युद्ध स्मारक और रानी लक्ष्मीबाई पार्क घूम सकते हैं. किले से झांसी के मनोरम दृश्यों को देख सकते हैं. इस किले में प्रवेश के लिए शुल्क देना होता है और यह सुबह 8 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक ही खुला रहता है. इस किले की गिनती भारत के सबसे ऊंचे किलों में होती है.

प्रारंभिक वर्षों में यह किला ओरछा के चंदेल राजाओं की सेना के लिए सुरक्षित गढ़ था. 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह किला झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और अंग्रेजी फौज के बीच हुई भीषण लड़ाई का गवाह रहा. झांसी की रानी को युद्ध में पराजित करने के बाद इस किले पर अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया. बाद में किले को ग्वालियर के महाराजा जियाजी राव सिंधिया को दे दिया.

टूरिस्ट घूम सकते हैं रानी महल और संग्राहलय
इस किले में टूरिस्ट रानी महल देख सकते हैं. जहां रानी लक्ष्मी बाई रहा करती थी. इसे रानी लक्ष्मीबाई के जीवन के साथ ही पुनर्निर्मित कर संग्रहालय में तब्दील किया गया है. यहां की वास्तुकला आपको आकर्षित करेगी. सैलानी यहां भारत के इतिहास, शासकों, उनकी परंपरा और मध्यकाल और उसके बाद की घटनाओं को देख सकते हैं। यह महल सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुलता है. इसके अलावा टूरिस्ट झांसी का सरकारी संग्रहालय भी देख सकते हैं. जो सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है. यह किला 15 एकड़ में फैला हुआ है. इसकी चौड़ाई 225 मीटर और लंबाई 312 मीटर है. किले की ग्रेनाइट की दीवारें 16 से 20 फीट मोटी है.

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By pratik khare

पत्रकार प्रतीक खरे झक्कास खबर के संस्थापक सदस्य है। ये पिछले 8 वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने कई समाचार पत्र, पत्रिकाओं के साथ - साथ समाचार एजेंसी में भी अपनी सेवाएं दी है। सामाजिक मुद्दों को उठाना उन्हें पसंद है।

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