Chandi Devi Temple: कुम्भ नगरी हरिद्वार भारत के प्रमुख धार्मिक नगरों में से एक है। राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से लगभग 222 किलोमीटर दूर स्थित यह क्षेत्र मां गंगा के पावन तट पर बसा है। सिद्धपीठ व शक्ति पीठ की भूमि कहे जाने वाले धर्मनगरी हरिद्वार में मां दुर्गा के अनेक मंदिर हैं। इनमें से एक है मां चंडी देवी मंदिर।
पुण्यभूमि भारत के 52 शक्ति पीठों में से एक नील पर्वत पर स्थित इस मंदिर में मां खंभ के रूप में विराजमान है। वैसे तो यहां वर्षभर भक्तों का तांता लगा रहता है, मगर मान्यता है की नवरात्र काल में जो भक्त माता के इस दरबार में सच्चे मन प्रार्थना करता है, मां उसकी मनोकामना पूरी करती है।
गंगा से सटे नील पर्वत पर स्थित मां चंडी का दरबार आदि काल से है। जब शुंभ, निशुंभ और महिसासुर ने इस धरती पर प्रलय मचाई, तब देवताओं ने उनका संहार करने का प्रयास किया, लेकिन जब उन्हें सफलता नहीं मिली तो उन्होंने भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना की, तब भगवान भोलेनाथ और देवताओं के तेज से मां चंडी ने अवतार लिया और चंडीरूप धारण किया।
शुंभ औऱ निशुंभ इस नील पर्वत पर मां चंडी से बचकर छिपे हुए थे, तभी माता ने यहां पर प्रकट होकर दोनों का वध कर दिया और देवताओं के निवेदन पर इसी पर्वत पर खम्ब रूप में विराजमान हो गई, तब से माता चंडी अपने भक्तों का निरंतर कल्याण कर रही हैं।
समय-समय पर माता के इस धाम का जीर्णोद्धार होता रहा है। आठवीं शताब्दी में मां चंडी देवी धाम का जीर्णोद्धार जगदगुरु आदि शंकराचार्य ने कराया था। इसके बाद कश्मीर के राजा सुचेत सिंह ने 1872 में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। माता का मन्दिर जमीन से लगभग 9500 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। जिसकी पैदल यात्रा लगभग 3 किलोमीटर की है। देश के कोने कोने से श्रृद्धालु माँ चंडी देवी के दर्शन करने आते हैं।
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