SC first Woman Judge: सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश और तमिलनाडु की पूर्व राज्यपाल न्यायमूर्ति फातिमा बीवी का गुरुवार को एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 96 वर्ष की थीं।

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने तमिलनाडु की पूर्व राज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उनका जीवन कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की एक प्रेरणादायक कहानी है। एम. फातिमा बीवी का योगदान उनकी गहन सामाजिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उनकी आत्मा को शाश्वत शांति मिले।

जानिए इनके बारे में 

एम. फातिमा बीवी का जन्म 30 अप्रैल 1927 को पथानामथिट्टा (केरल) में हुआ था। उन्होंने टाउन स्कूल और कैथोलिकेट हाई स्कूल, पथानामथिट्टा में पढ़ाई की और यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम से रसायन विज्ञान में बीएससी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, तिरुवनंतपुरम से बीएल की डिग्री प्राप्त की।

फातिमा बीवी ने एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया और 1974 में जिला और सत्र न्यायाधीश बनने तक काम किया। 1980 में उन्हें आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण का न्यायिक सदस्य नियुक्त किया गया। 1983 में उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। वह 14 मई 1984 को उच्च न्यायालय की स्थायी न्यायाधीश बनीं। वह 29 अप्रैल 1989 को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुईं, लेकिन 6 अक्टूबर 1989 को न्यायाधीश के रूप में सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत हुईं, जहां वह 29 अप्रैल 1992 को सेवानिवृत्त हुईं। 

महिलाओं के लिए आदर्श रहीं

दिवंगत न्यायाधीश फातिमा बीवी ने अपने लंबे करियर के दौरान देशभर में महिलाओं के लिए एक आदर्श और नजीर के रूप में काम किया है।

राज्यपाल के रूप में भी छोड़ी छाप 

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवा देने के बाद वह 25 जनवरी 1997 को तमिलनाडु की राज्यपाल बनीं। तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में नियुक्त होकर राजनीतिक क्षेत्र पर भी अपनी छाप छोड़ी। उन्हें दूसरे सबसे बड़े केरल प्रभा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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