वैज्ञानिकों ने हाल ही में मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (MRI) सिस्टम को और बेहतर करने की कोशिश की है. इसमें उन्होंने MRI के रिजॉल्यूशन को सामान्य से 6.4 करोड़ गुना और बढ़ा दिया है. उन्होंने चूहे के मस्तिष्क की हाई रिजॉल्यूशन तस्वीर लेने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया. इसमें चूहे के अंग इस तरह दिख रहे हैं जैसे पहले कभी नहीं देखे गए.
फिलहाल इस तकनीक से एक चूहे के मस्तिष्क की तस्वीर ली गई है, जबकि शोधकर्ताओं को लगता है कि जल्दी ही ये स्कैन मनुष्य पर भी किया जा सकता है. यह तकनीक डॉक्टरों को मानव मस्तिष्क में न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों की वजह से होने वाले बदलावों का पता लगाने में मदद कर सकती है. माउस के स्कैन के बारे में हाल ही में एक शोध में बताया गया है, जिसे PNAS जर्नल में प्रकाशित किया गया है.
ड्यूक यूनिवर्सिटी में रेडियोलॉजी के एक प्रोफेसर और शोध के मुख्य लेखक जी एलन जॉनसन (G. Allan Johnson)
का कहना है कि यह बहुत शानदार है. अब हम न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों को अलग तरीके से देखना शुरू कर सकते हैं.
चार दशकों से, जॉनसन और उनकी टीम MRI के सुधार पर काम कर रही है. MRI का आविष्कार 50 साल पहले अमेरिकी डॉक्टर रेमंड दमादियन ने किया था. इस तकनीक में सुधार करने के लिए, शोधकर्ताओं ने एक हाई पावर की 9.4-टेस्ला मैग्नेट वाला एमआरआई तैयार किया. ज़्यादातर एमआरआई में 1.5- से 3 टेस्ला मैगिनेट होती हैं. उन्होंने ग्रेडिएंट कॉइल भी जोड़े जो वर्तमान मॉडल की तुलना में 100 गुना ज़्यादा मजबूत हैं. यही ग्रेडिएंट तस्वीर बनाते हैं. इसके अलावा, एक हाई स्पीड कंप्यूटर भी इसमें जोड़ा गया है, जो करीब 800 लैपटॉप जितना शक्तिशाली है.
चूहे के मस्तिष्क को स्कैन करने के बाद, शोधकर्ताओं ने लाइट शीट माइक्रोस्कोपी नाम की एक तकनीक का इस्तेमाल करके टिश्यू के सैंपल की तस्वीर बनाने के लिए भेजी. इससे वे मस्तिष्क में कोशिकाओं के खास समूहों को लेबल कर पाए जो तब ऑरिजनल एमआरआई पर मैप किए गए थे. इन स्टेप्स के बाद, पूरे मस्तिष्क की कोशिकाओं और सर्किटों की एक रंगीन तस्वीर सामने आई.
शोधकर्ताओं को एमआरआई तस्वीर के एक सेट से पता लगा कि उम्र के साथ चूहे के मस्तिष्क की कनेक्टिविटी कैसे बढ़ी. जबकि तस्वीर के दूसरे सेट में मस्तिष्क के रंगीन कनेक्शन शानदार ढंग से देखे गए, जो चूहे में अल्जाइमर रोग के न्यूरल नेटवर्क की गिरावट को दिखाता है.
इससे, शोधकर्ता इंसानों में एल्ज़ाइमर जैसी बीमारियों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं कि ये स्थितियां कैसे पैदा होती हैं और कैसे बढ़ती हैं. इस तकनीक से यह पता लगाने में भी मदद मिलती है कि जब चूहों को खास डाइट पर रखा जाता है या उनके जीवन काल को बढ़ाने के लिए दवाएं दी जाती हैं तो मस्तिष्क कैसे बदलता है.