अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. इस अवसर पर भारत के अनेक राज्यों में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. कहीं प्रभात फेरी निकाली जा रही है, तो कहीं पीले चावल बांट कर देशवासियों को इस भव्य और दिव्य कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया जा रहा है. इसी बीच श्रीलंका से भगवान श्रीराम की चरण पादुका यात्रा का प्रारंभ हुआ है. यह यात्रा उस रूट पर चल रही है, जिस मार्ग से भगवान राम अयोध्या से श्रीलंका गए थे.आज यह चरण पादुका यात्रा प्रभु श्री राम की तपोस्थली चित्रकूट पहुंची. जहां कामतानाथ जी के दरबार में पूरे विधि विधान से चरण पादुका का पूजन किया गया.
गौरतलब है कि धर्म नगरी चित्रकूट का प्रभु श्री राम का अटूट नाता रहा है. यहां प्रभु श्री राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ लगभग 11 साल वनवास के दौरान रहे थे. इस लिए चित्रकूट को प्रभु श्री राम की तपोस्थली भी कहा जाता है. वहीं 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर श्रीलंका से अयोध्या धाम तक निकाली गई चरण पादुका यात्रा धर्म नगरी चित्रकूट पहुंची है. जहां चरण पादुका का पूजन किया गया.
क्या है इस यात्रा का लक्ष्य?
गौरतलब है कि रामायण सर्किट पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार के अध्यक्ष डॉ. राम अवतार इस पूरी यात्रा का नेतृत्व कर रहे है. उन्होंने बताया कि युवाओं के अंदर श्रीराम जैसे चरित्र का निर्माण करने एवं राम वन-गमन के दौरान उनकी लीलाओं के द्वारा समाज को दिए गए संदेशों को जन-जन तक पंहुचाने के उद्देश्य से प्रभु श्रीराम व माता जानकी की पावन चरण पादुका लेकर श्रीलंका से आयोध्या धाम तक यात्रा निकाली जा रही है. यह यात्रा धर्मनगरी चित्रकूट पहुंची है. जंहा रामघाट पर गंगा पूजन व मत्यगेंद्रनाथ जी का जलाभिषेक के साथ ही प्रभु कामतानाथ जी के दरबार में पादुकाओं का पूजन-अर्चन किया गया और कामदगिरि की परिक्रमा लगाई गयी. इसके बाद यह यात्रा भरतकूप धाम सहित अनेक स्थलों के दर्शन के बाद अयोध्या धाम को रवाना होगी.
44 दिनों में पूरी होगी यह यात्रा
यात्रा का नेतृत्व कर रहे डॉ. राम अवतार ने बताया कि यह चरण पादुका यात्रा श्रीलंका से शुरू होकर अयोध्या जाने वाली है, यह 44 दिन की यात्रा है. डॉ. राम अवतार ने बताया कि श्रीलंका से यह यात्रा शुरू हुई है और अयोध्या तक जाएगी. इसके लिए वही रूट तय किया गया है, जिससे खुद भगवान राम पैदल चलते हुए श्रीलंका पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि इसी क्रम में भगवान धर्म नगरी चित्रकूट भी आए थे, इसलिए यह यात्रा भी उनके पदचिन्हों का अनुशरण करते हुए चित्रकूट पहुंची है.इस यात्रा के दौरान जनता में उत्साह है इतनी उमंग है जिसकी हमें भी कल्पना नहीं थी. ऐसा लगता है जैसे श्री राम स्वयं आ गए हैं और यह बात लगभग तय है कि रामराज की स्थापना के साथ ही हिंदू राष्ट्र की स्थापना का दिन अब निकट आ गया है.