Good News : मंगल ग्रह पर मिले तीन क्रेटर्स यानी गड्ढों में से एक का नाम काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व शोध छात्र, भौतिकी शोध प्रयोगशाला के निदेशक डा. अनिल भारद्वाज की जन्मस्थली हाथरस जनपद के मुरसान कस्बे के नाम पर रखा गया है।


डा. भारद्वाज ने लखनऊ विश्वविद्यालय से 1987 में भौतिकी से एमएससी करने के बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से 1992 में बाहरी ग्रहों और धूमकेतुओं पर आरोरा और एयरग्लो प्रक्रियाओं के अध्ययन पर पीएचडी की। उनकी शोध रुचियों में ग्रहों के पिंडों की सतह, वायुमंडल और आयनमंडल के अध्ययन और सौर विकिरणों और सौर हवा के साथ उनकी अंतः क्रियाओं सहित व्यापक स्पेक्ट्रम शामिल हैं।


डा. भारद्वाज चंद्रयान-1 मिशन से भी जुड़े रहे। वह मंगल ग्रह के निम्न अक्षांशीय बहिर्मंडल में संरचना के मापन के लिए चल रहे मंगल आर्बिटर मिशन पर मेनका प्रयोग में भी प्रमुख अन्वेषक रहे। उन्हें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।

भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के विज्ञानियों द्वारा खोजा गया थारिस मंगल ग्रह के पश्चिमी गोलार्ध में भूमध्य रेखा के पास केंद्रित विशाल ज्वालामुखीय पठार है। इसी थारिस ज्वालामुखी क्षेत्र में तीन क्रेटरों की खोज अहमदाबाद स्थित पीआरएल के विज्ञानियों ने की। उनमें से एक का नाम उन्होंने निदेशक डा. भारद्वाज की जन्मस्थली मुरसान कस्बे के नाम पर रखा।


दूसरे क्रेटर का नाम हिलसा (नालंदा, बिहार) और तीसरे का पीआरएल के पूर्व निदेशक प्रोफेसर देवेंद्र लाल के नाम पर रखा गया है। पीआरएल की सिफारिश पर अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने तीनों क्रेटरों के नाम लाल क्रेटर, मुरसान क्रेटर और हिलसा क्रेटर रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।


डा. भारद्वाज का जन्म हाथरस जिले के छोटे से मुरसान कस्बे में एक जून 1967 को हुआ था। पिता श्यामसुंदर शर्मा लखनऊ में शारीरिक शिक्षा के प्रोफेसर थे। इसके चलते परिवार लखनऊ में ही रहने लगा। अनिल भारद्वाज की पढ़ाई लखनऊ में ही हुई। मुरसान में उनके चाचा और बुआ का परिवार है। हाथरस में उनकी ससुराल है। उनके चचेरे भाई सुरेश चंद्र शर्मा और बुआ के बेटे नरेंद्र शर्मा ने बताया कि डा. अनिल ने मुरसान स्थित घर को कई वर्ष पूर्व बेच दिया।


लाल क्रेटर सबसे बड़ा करीब 65 किलोमीटर चौड़ा है। लाल क्रेटर का पूरा क्षेत्र लावा से ढका हुआ है। प्रोफेसर देवेंद्र लाल 1972 से 1983 के बीच पीआरएल के डायरेक्टर थे। वह भारत के प्रमुख कास्मिक रे भौतिक विज्ञानी थे। मुरसान क्रेटर 10 किलेामीटर चौड़ा है। यह लाल क्रेटर के पूर्वी रिम पर टिका हुआ है।


वहीं, हिलसा क्रेटर भी 10 किलोमीटर चौड़ा है। यह लाल क्रेटर के पश्चिमी रिम पर ओवरलैप करता है। हिलसा पीआरएल के विज्ञानी डा. राजीव रंजन भारती का जन्म स्थान है। डा. रंजन क्रेटर्स की खोज करने वाली टीम का हिस्सा हैं।

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By pratik khare

पत्रकार प्रतीक खरे झक्कास खबर के संस्थापक सदस्य है। ये पिछले 8 वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने कई समाचार पत्र, पत्रिकाओं के साथ - साथ समाचार एजेंसी में भी अपनी सेवाएं दी है। सामाजिक मुद्दों को उठाना उन्हें पसंद है।

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