आजकल स्मार्टफोन हर किसी की जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है, चाहे वे बड़े हों, बच्चे हों या बुजुर्ग। हर कोई इसका उपयोग कर रहा है। हम खुद को तो स्मार्टफोन में लिप्त रहते हैं, साथ ही बच्चों को भी स्मार्टफोन की तरफ जाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। मतलब जो समय बच्चों के खेल-कूद का होता या पढ़ाई का होता, उस समय में हमारे बच्चे फोन में रील्स देख रहे होते हैं। ऐसे में बच्चों में इसकी एडिक्शन देखने को मिल रही है। इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। कुछ रिपोर्ट तो यह भी कहती है कि स्मार्टफोन के इस्तेमाल के चलते बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। एक रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग 23 फ़ीसदी से ज्यादा बच्चे सोने से पहले बिस्तर पर स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं।
आइए जानते हैं कि स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से आपके बच्चों को क्या नुकसान हैं और इससे कैसे छुटकारा पाएं….
स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से नुकसान
जरूरत से ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने के चलते बच्चों का सामाजिक अलगाव हो जाता है। अर्थात बच्चे फोन में ही इतना खोए रहते हैं कि उन्हें अपने आसपास में होने वाले किसी भी घटना से कोई फर्क नहीं पड़ता है। आसपास घर पर लोगों के बैठने पर भी फोन में व्यस्त रहते हैं। आपस में ठीक से बातचीत तक नहीं करते। कई बार तो देखा जाता है कि घर में कोई अतिथि भी आते हैं तो बच्चे उनसे बातचीत या मिलने-जुलने की बजाए फोन में लगे रहते हैं। फोन का इस्तेमाल करने के चलते स्लीपिंग पैटर्न भी खराब हो जाता है। बच्चों को 8 घंटे की सही नींद नहीं मिल पाती है। बच्चे देर से सोते हैं। इसकी वजह से चिड़चिड़ापन फोकस में कमी बनी रहती है। साथ ही रात में देर तक फोन चलाने से फोन की लाइट हमारी आंखों और दिमाग पर बुरा असर डालती है। स्मार्टफोन के इस्तेमाल से बच्चे बाहर जाकर खेलना कूदना बंद कर देते हैं। इससे शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है ब्रेन का विकास ठीक से नहीं हो पाता है। इसके अलावा आपका बच्चा चार लोगों के बीच में बातचीत करने में हिचकिचाहट महसूस करने लगता है और ये सारी समस्याएं मिलकर डिप्रेशन के लक्षणों को बढ़ावा देती हैं।
फोन की लत के लिए मां-बाप भी जिम्मेदार
अक्सर देखने में आता है कि बच्चे के जिद करने पर मां-बाप खुद ही बच्चों को स्मार्टफोन पकड़ा देते हैं। कई बार मां-बाप का यह भी कहना होता है कि अगर फटाफट स्कूल का काम कर लोगे तो मोबाइल मिल जाएगा या फिर खाना खाओगे तो मोबाइल मिल जाएगा। ऐसी कुछ शर्ते बच्चों के सामने अक्सर रखी जाती हैं। इसके लालच में बच्चा फटाफट काम तो फटाफट निपटा लेता है लेकिन उसका ध्यान मोबाइल पर ही लगा रहता है। ऐसे में यदि स्मार्टफोन बच्चों को दे दिया जाए तो वह भी बड़ी खुशी के साथ उसे देखता रहता है और यह शुरू से ही बच्चों मैं लत सी लगा देता है जो आगे चलकर इसका नेगेटिव प्रभाव इनकी पढ़ाई पर पड़ता है। मां-बाप खुद ऑफिस वर्क में इतने बिजी रहते हैं कि बच्चों को टाइम ही नहीं दे पाते। इसके अलावा वे खुद ही मोबाइल फोन में लगे रहते हैं तो ऐसे में आपके बच्चे को लगता है कि इसका इस्तेमाल सही है।
छुड़वाएं फोन की लत
- अगर बच्चों से मोबाइल फोन की लत को छुड़वाना है तो आपको सख्ती बरतनी होगी, आपको सख्त होना होगा।
- खुद भी घरपर मोबाइल फोन से दूरी बनाएं। अगर फोन इस्तेमाल करना है तो इसके लिए टाइम टेबल बनाएं कि आपको किस टाइम फोन चलाना है और किस टाइम नहीं चलाना है।
- अगर आपका बच्चा सुबह उठते ही मोबाइल देखने की जिद करता है तो मोबाइल को उसकी नजरों से दूर कर दें।
- बच्चों के साथ समय बिताएं। उनसे बातचीत करें। उनके साथ बाहर खेलने जाएं। घूमने जाएं।
- रात में सोते वक्त खुद भी मोबाइल से दूरी बनाएं और बच्चों को भी दूर रखें।