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प्रतीक तिवारी

भगवान आशुतोष शिव की पूजा का अभिन्न अंग माने जाने वाले श्रीफल वृक्ष के पत्र की अपार महिमा है। बिल्वपत्र भगवान शिव को परमप्रिय है। बिल्वपत्र शिवजी के साथ कुछ अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना में भी निवेदित किया जाता है। बेलपत्र पवित्र और देवप्रिय है, इसलिए कहा भी गया है ‘दर्शनम्‌ बिल्व पत्रस्य, स्पर्शनमं पाप नाशनम्‌’ अर्थात बेल पत्र का दर्शन कर लेने मात्र से पापों का शमन हो जाता है। लक्ष्मी स्वरूप होने के कारण इसे श्रीफल अर्थात लक्ष्मी फल की संज्ञा प्राप्त है।

बेलपत्र की महिमा का वर्णन 

बेलपत्र की उत्पत्ति की एक कथा प्रचलित है। स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल आया। चूंकि माता पार्वती के पसीने से बेल के पेड़ का उद्भव हुआ। अत: इसमें देवी के अनेक रूपों का वास माना जाता है। पेड़ की जड़ में गिरिजा के स्वरूप में, इसके तनों में माहेश्वरी के स्वरूप में और शाखाओं में दक्षिणायनी व पत्तियों में पार्वती के रूप में रहती हैं। फलों में कात्यायनी स्वरूप व फूलों में गौरी स्वरूप निवास करता है। इन सभी रूपों के अलावा, मां लक्ष्मी का रूप समस्त वृक्ष में निवास करता है। 

बेलपत्र में माता पार्वती का प्रतिबिंब होने के कारण इसे भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है। भगवान शिव पर बेलपत्र चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं। जो व्यक्ति किसी तीर्थस्थान पर नहीं जा सकता है, अगर वह श्रावण मास में बिल्व के पेड़ के मूल भाग की पूजा करके उसमें जल अर्पित करे तो उसे सभी तीर्थों के दर्शन का पुण्य मिलता है। बिल्वपत्र ज्यादातर तीन पत्ते वाले मिलते हैं पर कभी-कभी चार और पांच पत्तों वाले भी बिल्वपत्र देखने को मिल जाते हैं, जो अत्यंत दुर्लभ और मंगलकारी होते हैं।

स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक  

सनातन धर्म में पूजा के लिए प्रयोग होने वाला बेलपत्र, सिर्फ पूजा के लिए ही नहीं, बल्कि आपके स्वास्थ्य के लिए भी काफी ज्यादा फायदेमंद है। बेल के पत्तों का सेवन करने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर काफी हद तक कम हो जाता है। बेल के पत्ते का चूर्ण कैंसर होने की संभावना को काफी हद तक कम कर देता है। बेलपत्र को शरीर की किसी भी प्रकार की सूजन और पेट संबंधित समस्या में बहुत लाभकारी बताया गया है।

इसके अलावा बेलपत्र के सेवन से मधुमेह, कब्ज एवं पाचन की समस्या, रक्त विकार, मूत्र विकार आदि रोगों की समस्या दूर हो सकती है। बेलपत्र के नियमित सेवन से मन शांत एवं शरीर शीतल रहता है। बिल्व पत्र धार्मिक और स्वास्थ्य दोनों की दृष्टि से फलदायी माना गया है। बिल्व वृक्ष के दर्शन से मंगलता और पवित्रता का संचार होता है। इस वृक्ष के फल एवं पत्तों के सेवन से स्वास्थ्य उत्तम होता है। हम लोगों को बिल्व वृक्ष का रोपण, पोषण और संरक्षण जरूर करना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से हमें शिवकृपा के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलेगा।

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