Indian Rail: 16 अप्रैल भारतीय इतिहास के लिए बहुत अहम दिन माना जाता है। इस दिन भारत में पहली यात्री ट्रेन (Passenger Train) पटरियों पर दौड़ी थी। यह ट्रेन मुंबई से ठाणे (Bombay to Thane) के बीच चली थी। इसे भारतीय रेल (Indian Railways) के इतिहास की शुरुआत माना जाता है। यही वजह है कि भारत में 16 अप्रैल को भारतीय रेल परिवहन दिवस मनाया जाता है।

400 लोगों ने किया था सफर
अंग्रेजों में भारत में रेल का नेटवर्क अपने व्यापार के लिए बिछाया था। कई लोगों को लगता है कि यह ट्रेन एक माल गाड़ी थी और भारत में रेल परिवहन के लिहाज से पहली गाड़ी थी। लेकिन हकीकत यह है कि यह एक पहली यात्री ट्रेन थी और इसमें 400 लोगों में सफर किया था। 34 किलोमीटर का यह सफर इस ट्रेन ने एक घंटा 15 मिनट में पूरा किया था।

सवा घंटे में 34 किलोमीटर
डेक्कन क्वीन नाम की इस ट्रेन में कुल 14 डिब्बे थे। यह ट्रेन दोपहर 3.30 बजे बोरीबंदर से प्रारंभ हुई थी जिसे आज छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन के नाम से जाना जाता है और यह अपने गंत्वय पर शाम 4.45 बजे पहुंची थी। इस ट्रेन को चलाने के लिए तीन इंजनों का उपयोग किया गया था। इन इंजनों के नाम साहिब, सुल्तान और सिंध थे।

यह थी भारत की पहली रेल
यह बात बिलकुल सही है कि अंग्रेजों ने भारत में रेल नेटवर्क लोगों की जरूरत के लिए नहीं बल्कि अपने माल की आवाजाही को प्राथमिकता देते हुए बनाया गया। भारत में रेलवे के प्रयास1932 में मद्रास से शुरु हुए  थे। रेल परिवहन के नाम पर भारत में सबसे पहले मालगाड़ी चली थी जिसका नाम रेड हिल रेलवे था. यह मद्रास में रेड हिल से चिंताद्रीपेट ब्रिज तक 1837 में चली थी।

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कोलकाता की कंपनी ने बिछाई थी रेलवे लाइन
इसके बाद 1845 में कोलकाता में ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेल कंपनी की स्थापना की गई थी। इसी कंपनी ने 1850 में मुंबई से ठाणे तक रेलवे लाइन बिछाने का काम शुरू किया था। जिसके बाद यात्री गाड़ियों के चलने का सिलसिला चला था। 1853 के बाद से यात्री गाड़ियों के नेटवर्क का विस्तार किया जाने लगा।

कोलकाता फिर मद्रास में भी चली पहली यात्री गाड़ी
भारत में इसके बाद 15 अगस्त 1854 को कोलकाता में हावड़ा से हुगली के बीच पहली ट्रेन चली जिसने 39 किलोमीटर का सफर तय किया। इसके ट्रैक का रखरखाव ईस्ट इंडिया रेलवे कंपनी ने किया था। वहीं दक्षिण भारत मे पहली यात्री गाड़ी मद्रास के रोयापुरम-वेयासारपैडी ओर्कोट के बीच चली।

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आज भारतीय रेल (Indian Railways) नेटवर्क दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है. (फाइल फोटो)

आजादी से पहले धीरे-धीरे फैला नेटवर्क
इसके बाद धीरे धीरे भारतीय रेल का नेटवर्क फैलता गया और अलग अलग जगहों पर यात्री गाड़ियों की शुरुआत भी होती रही। 1925 से लेकर 1947 तक भारत में रेल नेटवर्क तेजी से तो फैला और आधुनिक उपकरणों का उपयोग भी बढ़ा, लेकिन भारतीय रेल का व्यापक विकास आजादी के बाद ही हुआ।

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आज बहुत अलग है भारतीय रेल की तस्वीर
आज भारतीय रेलवे आकार के हिसाब से दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है, जिसकी लंबाई 67,956 किलोमीटर है। आज भारतीय रेल 8 अरब लोगों को सफर करवाता है और 1.2 अरब टन सामान की ढुलाई करता है। इसके लिए वह 13169 यात्री गाड़ियों और 8479 मालगाड़ियों का उपयोग किया जाता है।

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By pratik khare

पत्रकार प्रतीक खरे झक्कास खबर के संस्थापक सदस्य है। ये पिछले 8 वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन्होंने कई समाचार पत्र, पत्रिकाओं के साथ - साथ समाचार एजेंसी में भी अपनी सेवाएं दी है। सामाजिक मुद्दों को उठाना उन्हें पसंद है।

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